CBSE New Rules 2025: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा के नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किया है, जो वर्ष 2026 से लागू होंगे। इन नए बदलावों का उद्देश्य छात्रों पर एक ही बार में बेहतर प्रदर्शन का दबाव कम करना और उन्हें अपनी पढ़ाई में सुधार का अतिरिक्त अवसर प्रदान करना है।
साल में दो बार होगी 10वीं की बोर्ड परीक्षा
सीबीएसई के नए निर्देशों के तहत 10वीं की बोर्ड परीक्षा अब साल में दो बार आयोजित की जाएगी। पहली परीक्षा फरवरी के मध्य में होगी, जबकि दूसरी परीक्षा मई में आयोजित की जाएगी। फरवरी में होने वाली परीक्षा में सभी छात्रों की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
मई में होने वाली परीक्षा को CBSE Improvement Exam नाम दिया गया है। इसमें केवल वही छात्र शामिल हो सकेंगे, जो फरवरी वाली परीक्षा में पास नहीं हो पाए हैं और अपने अंकों में सुधार करना चाहते हैं।
3 विषयों से अधिक में फेल छात्रों को नहीं मिलेगा दूसरा मौका
सीबीएसई ने स्पष्ट कर दिया है कि जो छात्र पहली बोर्ड परीक्षा में तीन से अधिक विषयों में असफल होंगे, उन्हें मई वाली सुधार परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे विद्यार्थियों को अगले शैक्षणिक वर्ष में ही दोबारा परीक्षा देनी होगी। इस नियम का उद्देश्य छात्रों को पहले प्रयास में ही बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करना है।
नए नियम में मुख्य बदलाव
- फरवरी में आयोजित होने वाली परीक्षा में उपस्थित होना सभी के लिए अनिवार्य।
- मई वाली परीक्षा को सुधार (इम्प्रूवमेंट) परीक्षा का दर्जा दिया जाएगा।
- तीन से अधिक विषयों में फेल होने वाले छात्र सुधार परीक्षा नहीं दे पाएंगे।
बदलाव का उद्देश्य और फायदा
सीबीएसई का मानना है कि यह बदलाव छात्रों के लिए तनाव को कम करेगा। अब उन्हें साल में दो अवसर मिलेंगे, जिससे एक ही बार में अच्छे अंक लाने का दबाव कम होगा। साथ ही, छात्रों को अपनी कमजोरियों पर काम करने और अगली परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा।
यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत उठाया गया है, जिसमें परीक्षा प्रणाली को लचीला और छात्र-केंद्रित बनाने पर जोर दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और सीखने की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाएगा।
छात्रों के लिए जरूरी सावधानियां
इन नए नियमों के लागू होने के बाद छात्रों को अपनी पढ़ाई की रणनीति बदलनी होगी। चूंकि फरवरी की परीक्षा अनिवार्य है और तीन से अधिक विषयों में फेल होने पर दूसरा मौका नहीं मिलेगा, इसलिए शुरुआत से ही तैयारी पर जोर देना जरूरी है।
- समय प्रबंधन: पूरे साल का टाइमटेबल बनाकर पढ़ाई करें ताकि सभी विषयों पर बराबर ध्यान दिया जा सके।
- नियमित पुनरावृत्ति: हर हफ्ते पुराने टॉपिक्स की पुनरावृत्ति करें, ताकि परीक्षा के समय दबाव न बढ़े।
- कमजोर विषयों पर ध्यान: जिन विषयों में कठिनाई हो, उनके लिए अतिरिक्त समय और अभ्यास निर्धारित करें।
- मॉक टेस्ट का उपयोग: समय-समय पर मॉक टेस्ट देकर अपनी तैयारी का मूल्यांकन करें।
अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका
अभिभावक और शिक्षक इस बदलाव के बाद छात्रों की तैयारी में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्हें न केवल पढ़ाई में मार्गदर्शन देना होगा, बल्कि मानसिक रूप से भी छात्रों को मजबूत बनाना होगा। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि पहली परीक्षा में ही अच्छा प्रदर्शन क्यों जरूरी है।
नतीजा
सीबीएसई के इन नए नियमों से परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और लचीलापन बढ़ेगा। छात्रों को साल में दो अवसर मिलने से उनकी पढ़ाई में सुधार होगा और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में भी वे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ पाएंगे। हालांकि, तीन से अधिक विषयों में फेल होने पर दूसरा मौका न मिलने का नियम छात्रों के लिए चुनौती भी होगा, लेकिन यह उन्हें शुरू से ही गंभीरता के साथ तैयारी करने के लिए प्रेरित करेगा।
इन परिवर्तनों के साथ, 2026 से 10वीं की बोर्ड परीक्षा का स्वरूप पहले से काफी अलग होगा और छात्रों को अपनी योजना और मेहनत उसी के अनुसार ढालनी होगी।